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बायोग्राफी

बालासाहेब देवरस का आरएसएस में योगदान (तीसरे सरसंघचालक)

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बालासाहेब देवरस (माधुकर दत्तात्रेय देवरस) ने 1973 से 1994 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के तीसरे सरसंघचालक के रूप में संगठन का नेतृत्व किया। उन्होंने संघ को सामाजिक सुधार और सेवा के क्षेत्र में एक नई दिशा दी।

उनका सबसे बड़ा योगदान सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना था। उन्होंने जाति भेद और अस्पृश्यता को खत्म कर समाज में समानता स्थापित करने का प्रयास किया। बालासाहेब का मानना था कि हिंदू समाज तभी सशक्त हो सकता है जब सभी जातियों में एकता और सहयोग हो।

1975 के आपातकाल के दौरान, जब संघ पर प्रतिबंध लगाया गया, उन्होंने गुप्त रूप से संघ कार्यों को जारी रखा और लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया। इस दौर में संघ ने जनता पार्टी का समर्थन कर लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बालासाहेब के नेतृत्व में संघ ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाई। उन्होंने सेवा भारती और वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों की स्थापना की, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक विकास में योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गठन में भी परोक्ष रूप से मार्गदर्शन दिया, जिससे राजनीति में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी जा सके।

बालासाहेब देवरस ने समाज सेवा को संघ का मुख्य उद्देश्य बनाया और स्वयंसेवकों को हमेशा "राष्ट्र सेवा के लिए समाज सेवा" का संदेश दिया। उनके कार्यकाल में RSS एक सशक्त सामाजिक संगठन के रूप में उभरा, जो आज भी देश और समाज के उत्थान में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।