श्यामा प्रसाद मुखर्जी: भारतीय राजनीति के युगद्रष्टा
श्यामा प्रसाद मुखर्जी (1901–1953) भारतीय राजनीति, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में एक प्रभावशाली बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, सर आशुतोष मुखर्जी, एक प्रख्यात शिक्षाविद और समाजसेवी थे।
- उन्होंने अपनी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद वे लंदन के लिंकन इन से बैरिस्टर बने।
शिक्षाविद के रूप में योगदान
- वे 1934 से 1938 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति रहे। इस दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राजनीतिक करियर
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की, लेकिन बाद में उनकी नीतियों से असंतुष्ट होकर अलग हो गए।
- वे 1941-1942 में बंगाल के वित्त मंत्री रहे। इस दौरान वे हिंदू महासभा से जुड़े।
- स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन नेहरू-लियाकत समझौते का विरोध करते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
भारतीय जनसंघ की स्थापना
- 1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना की, जो आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रूप में जानी जाती है। इसका उद्देश्य हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था।
जम्मू-कश्मीर के लिए संघर्ष
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने का विरोध किया।
- उन्होंने "एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे" का नारा देकर जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण की मांग की।
विवादित मृत्यु
- 1953 में बिना अनुमति जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- 23 जून 1953 को हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के कारण आज भी विवाद का विषय बने हुए हैं।
विरासत
- उनके योगदान को स्मरण करते हुए हर वर्ष उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- उनके नाम पर कई संस्थानों और योजनाओं का नाम रखा गया है, जो उनकी शिक्षा और राजनीतिक दृष्टि को सम्मानित करते हैं।